
तेज प्रताप यादव, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे, एक बार फिर सुर्खियों में हैं—इस बार किसी राजनीतिक मुद्दे से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर और व्यक्तिगत विवाद को लेकर। कुछ दिन पहले तेज प्रताप ने एक महिला के साथ अपनी तस्वीर साझा की और उसे अपनी "गर्लफ्रेंड" बताया। इसके तुरंत बाद, लालू यादव ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया और परिवार से भी अलग कर दिया।
हालांकि तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया था और तस्वीरें छेड़छाड़ की गईं।
सोशल मीडिया का सितारा या ‘तेजू भैया’?
तेज प्रताप यादव का सोशल मीडिया प्रोफाइल एक अलग ही दुनिया बयां करता है। वह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हैं और अक्सर बांसुरी बजाते, घोड़े की सवारी करते और महंगी गाड़ियों के साथ नजर आते हैं। समर्थकों के बीच वे 'तेजू भैया' के नाम से जाने जाते हैं।
राजनीति से व्लॉगिंग तक का सफर
एक समय बिहार में नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री रह चुके तेज प्रताप ने 2021 में “LR Vlog” नाम से यूट्यूब चैनल शुरू किया। चैनल पर वह अपनी जीवनशैली, बंगला, सरकारी काफिले और सुरक्षा दस्ते को दिखाते नजर आते हैं। चैनल के लगभग 2 लाख सब्सक्राइबर्स हैं और सिल्वर प्ले बटन भी मिल चुका है।
पायलट बनने की पेशकश और वायुसेना हेलिकॉप्टर की तस्वीर
हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर एक एयर फोर्स हेलिकॉप्टर के साथ अपनी तस्वीर साझा की और कहा कि वे पायलट बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं और देश के लिए लड़ने को तैयार हैं।
टिकटॉक से शुरू हुई थी ‘पुकार’
तेज प्रताप का सोशल मीडिया प्रेम TikTok से शुरू हुआ था, जहां उनके 1.76 लाख फॉलोअर्स थे। स्टाइलिश स्टंट्स, BMW की सवारी और सुपरबाइक के साथ दिखना उनकी पहचान बन चुका था। उन्होंने 2018 में एक गाना 'तेज प्रताप पुकार रहा है' भी लॉन्च किया था, जो उनकी छवि को चमकाने की कोशिश थी।
धर्म और ड्रामा का संगम
इंस्टाग्राम पर उनके 6 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, जहां वह कभी कृष्ण के रूप में बांसुरी बजाते, तो कभी रुद्राभिषेक करते, तो कभी पुलिस सुरक्षा में ध्यान लगाते दिखते हैं। इन पोस्ट्स में राजनीति कम, नाटकीयता ज्यादा दिखती है।
निष्कर्ष
तेज प्रताप यादव का सफर अब राजनीति से ज़्यादा सोशल मीडिया और ड्रामा का केंद्र बन चुका है। लालू यादव की राजनीतिक विरासत के इस वारिस को अब शायद "रील लाइफ" में ज़्यादा सुकून मिल रहा है, जबकि "रियल पॉलिटिक्स" से दूरी बढ़ती दिख रही है।