नयी दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर बिहार में भाजपा के सहयोगी दल जदयू का अंतर्विरोध खुलकर सामने आ गया है। संसद के अंदर इसका समर्थन करने वाली पार्टी के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन पार्टी के दूसरे नेता लगातार परस्पर विरोधाभाषी बयानबाजी कर रहे हैं।
 
 
नीतीश के करीबी माने जाने वाले पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का कहना है कि राज्य में सीएए को लागू नहीं किया जाएगा तो वहीं वरिष्ठ नेता केसी त्यागी, आरसीपी सिंह और ललन सिंह इसको लागू करने का समर्थन कर रहे हैं।

 
इतना ही नहीं प्रशांत किशोर एनआरसी का डर दिखाकर एनपीआर का विरोध कर रहे हैं जबकि अन्य नेता एनपीआर से किसी प्रकार की दिक्कत न होने का सार्वजनिक बयान दे रहे हैं।

 
इसी बीच किशोर ने रविवार को सीएए और एनपीआर, एनआरसी का खुलकर विरोध करने के लिए न केवल कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी का धन्यवाद किया बल्कि यह भी दावा किया कि बिहार में सीएए भी लागू नहीं होगा।

 
वहीं बिहार पार्टी प्रमुख वीएन सिंह का कहना है कि सीएए और एनपीआर पर प्रशांत किशोर के बयान का कोई मतलब नहीं है। पार्टी एनआरसी के विरोध में है लेकिन समस्या एनआरसी, सीएए और एनपीआर को मिलाकर देखने से हो रही है।  

 

नीतीश की उलझन

सीएए के लगातार विरोध के बाद संसद में अचानक इससे जुड़े बिल का समर्थन कर चौंकाने वाले नीतीश कुमार अब उलझन में हैं। दरअसल बिहार के अल्पसंख्यक वर्ग में इसका तीखा विरोध हो रहा है। इस वर्ग में जदयू का भी आधार है।

 
विरोध के कारण अब पार्टी सीएए सहित इससे जोड़ कर देखे जा रहे एनपीआर पर कोई स्पष्ट लाइन नहीं ले पा रही। इसी उलझन के कारण नीतीश न तो इसके विरोधी प्रशांत किशोर को साफ निर्देश दे पा रहे हैं और न ही इसके समर्थक नेताओं को। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नीतीश जल्द ही इन सभी मुद्दों पर स्पष्ट लाइन लेंगे।

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