कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने आलचकों से बात न करने के लिए हमला बोला है। उन्होंने सोमवार को अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री मोदी पांच आलोचकों को चुनें और उनके साथ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सवाल और जवाब का सत्र आयोजित करें। ताकि लोग इस कानून को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकें।

 

कांग्रेस नेता ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री उनके सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। पूर्व गृह मंत्री ने कहा, 'प्रधानमंत्री का कहना है कि सीएए नागरिकता देने का कानून है छीनने का नहीं। हम में से कई लोगों का मानना है कि सीएए (एनपीआर या एनआरसी के साथ मिलकर) कई व्यक्तियों को 'गैर-नागरिक' घोषित कर देगा और उनकी नागरिकता छीन लेगा।'

उन्होंने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री लोगों का मुंह बंद कराने के लिए मंच से बात करते हैं और सवाल नहीं लेते हैं। हम मीडिया के जरिए बात करते हैं और मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं।' प्रधानमंत्री अपने आलोचकों से बात नहीं करते हैं और उन्हें उनसे बात करने का मौका भी नहीं मिलता है।

 

कांग्रेस नेता ने कहा, 'इसका केवल एक ही रास्ता है कि प्रधानमंत्री खुद पांच मुखर आलोचकों को चुने और उनके साथ टेलीविजन पर सीएए को लेकर सवाल और जवाब का एक सत्र करें। लोगों को इस चर्चा को सुनने दें और सीएए पर अपने निष्कर्ष पर पहुंचने दें।' चिदंबरम का सुझाव ऐसे समय पर आया है जब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को सीएए को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून बताया है।

सोनिया गांधी का कहना है कि सीएए ऐसा पाप है जिसका मकसद धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करना है। उन्होंने जोर दिया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) फॉर्म और कंटेंट गुप्त रूप से राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) का रूप है। इसी बीज आज कांग्रेस अध्यक्ष ने वाम मोर्चा सहित सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है।

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