नयी दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भारत में जारी विरोध-प्रदर्शनों को माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने दुखद करार दिया है। दरअसल, सीएए को लेकर बजफीड के संपादक बेन स्मिथ ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही थी। इस पर नडेला ने कहा, मुझे लगता है जो हो रहा है वह दुखद है। मुझे अच्छा लगेगा अगर कोई बांग्लादेशी अप्रवासी भारत में इन्फोसिस का सीईओ बनता है।
नडेला की ओर से माइक्रोसॉफ्ट इंडिया द्वारा जारी बयान में, कहा गया है कि प्रत्येक देश को अपनी सीमाओं को पारिभाषित करने, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और आव्रजन नीति निर्धारित करने का अधिकार है। लोकतंत्रों में यह सब जनता और सरकार के बीच बहस से पारिभाषित होता है।
बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ नडेला ने यह बातें मैनहट्टन में एक कार्यक्रम में कहीं। नडेला का यह बयान तब सामने आया है जब नागरिकता कानून को लेकर देश में विपक्षी पार्टियों समेत विभिन्न राज्यों के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन को बॉलीवुड की कुछ हस्तियों का भी समर्थन मिल रहा है। वहीं, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया जैसी यूनिवर्सिटी के छात्र भी बीते एक महीने से भी ज्यादा समय से इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
नागरिकता कानून देश में लागू
नागरिकता कानून 2019, 10 जनवरी से पूरे देश में लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है। देश में कई जगहों पर नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। इस कानून को लेकर देश के कई इलाकों में हिंसा की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं, जिनकी जांच जारी है।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के जरिए केंद्र सरकार ने बदलाव किया है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आने वाले छह समुदायों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। हालांकि अब से पहले तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था।
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