
खबरों के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार के 21 संसदीय सचिवों के अपॉइंटमेंट को कैंसल कर दिया है| अदालत के निर्णय से दिल्ली सरकार की मुसीबतें और बढ़ गयी है| इससे पहले राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से इस संबध में पारित के विधेयक को हांमी नहीं भरी थी| इस बिल में 21 विधायकों को लाभ के पद के घेरो से बाहर रखने का प्रावधान था| इस निर्णय के बाद इन 21 विधायकों के संसदीय सचिव के अपने पद छोड़ने पड़ सकते हैं|
हालांकि केजरीवाल सरकार के पास अभी भी सुप्रीम कोर्ट जाने का ऑप्शन है| जाहिर है कि 1993 में दिल्ली विधानसभा के फिर से गठन के बाद से किसी भी सरकार में तीन से अधिक संसदीय सचिव नहीं रहे हैं| इन विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का बीजेपी और अन्य पार्टियों ने बार बार विरोध किया था| विपक्ष का इल्जाम था कि इन 21 विधायकों को मंत्रियों की तरह लाभ दिया जाएगा|
जिससे दिल्ली के लोगो पर बोझ पड़ेगा| हालांकि आम आदमी पार्टी ने "संसदीय सचिव विधेयक बिल" के पारित न होने पर केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार मानते कहा था कि इन 21 विधायकों को किसी तरह की आमदनी, सुविधा, गाड़ी, बंगला जैसी सुविधाएं पार्टी नहीं देने जा रही है|
आम आदमी प्रवक्ता ने एक इंटरव्यू में कहा था, "वे अपने ख़र्चे पर जगह-जगह काम कर रहे हैं| ऐसे में मोदी जी ये चाहते हैं कि विधायक घर बैठ जाएं तो मोदी जी न तो ख़ुद काम करना चाहते हैं और न हमारे विधायकों को काम करने देना चाहते हैं|"