रांची। सीएम रघुवर दास ने चुनावी रुझान के बीच दोपहर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जो भी आंकड़े आ रहे है, जिसका वह स्वागत करते हैं। जनादेश स्वीकार है। प्रदेश की सवा 3 करोड़ जनता को मैं साधुवाद देता हूं। मैंने 5 वर्ष पूरी ईमानदारी से राज्य की जनता की सेवा करने की कोशिश की। राज्य गठन होने के बाद जिस तरह की विकास की गंगा बहनी चाहिए, जिसके लिए हमारी सरकार ने पूरे प्रयास किए हैं।

 

चुनाव का नतीजा अभी घोषित नहीं हुआ है, फिर भी जो नतीजों के रुझान आ रहे हैं, मैं उनका स्वागत करता हूं। पूरा रुझान आ जाने के बाद मैं आप लोगों से फिर से मिलूंगा। नतीजे आने के बाद अगर बीजेपी हारती है, तो मैं मानता हूं कि मेरी हार है। राज्य की जनता ने जो जनादेश दिया था, उसके मुताबिक हमने काफी कोशिश की कि लोगों तक विकास पहुंचना चाहिए।

 

सरयू की जीत और रघुवर की हार के चार कारण :

सूत्रों का कहना है किरघुवर दास अंत तक आश्वस्त थे कि जमशेदपुर पूर्वी सीट पर उन्हीं की जीत होगी। इसके कुछ देर बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार मानते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। रघुवर दास झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। हालांकि, इस चुनाव में वह खुद भी नहीं जीत सके। उन्हें जमशेदपुर पूर्वी सीट से बीजेपी के ही बागी सरयू राय से करीब 16 हजार मतों से हार का मुंह देखना पड़ा।

 

जानकारी मिली है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उम्मीद जताई कि हेमंत सोरेन की अगुवाई में बनने वाली नई सरकार राज्य के लोगों की आकांक्षाओं, उम्मीदों पर खरी उतरेगी। उन्होंने कहा, जनादेश बीजेपी के पक्ष में नहीं आया, लेकिन हम लोगों के फैसले का सम्मान करते हैं। मुझे उम्मीद है कि हेमंत सोरेन और उनकी सरकार लोगों के सपनों को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा।

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