नयी दिल्ली। कश्मीर के पुलवामा में भीषण आतंकी हमले का एक साल पूरा हो गया है। 44 जवानों की शहादत से पूरे देश को झकझोर देने वाले हमले का बदला लेने के लिए बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक से भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है। जम्मू-कश्मीर में लगातार पुलवामा जैसे हमले दोहराने की कोशिशें जारी हैं, जिनसे निपटना अब भी सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। 
 
आतंकियों ने हमला करने का दायरा भी बढ़ा दिया है। पुलवामा के बाद 16 बार ऐसी नापाक हरकत दोहराने की कोशिश की गई। कश्मीर समेत जम्मू संभाग में भी सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी विस्फोट की कोशिशें की गईं जिसे सतर्क सुरक्षा बलों ने पुलवामा जैसा हमला बनने से टाल दिया।

 
कब कहां हुई कोशिशें 
 
10 मार्च 2019 : जम्मू के खौड़ इलाके में खौड़ पलांवाला सड़क पर टिफिन में आईईडी लगाई गई। 
 
30 मार्च : बनिहाल के पास सीआरपीएफ के काफिले के साथ ठीक पुलवामा की तरह कार को टक्कर मारने की कोशिश की गई। लेकिन संयोग से कार में रखा विस्फोटक नहीं फटा, जबकि कार क्षतिग्रस्त हो गई। यह हमला पुलवामा जैसा ही था। 
 
जून 2019 : सेना की 44 आरआर के काफिले पर शोपियां में आईईडी लगे वाहन से हमला। दो जवान शहीद हो गए, 9 घायल भी हुए। 
 
26 नवंबर : अनंतनाग में बैक टू विलेज कार्यक्रम में आईईडी लगाकर धमाका किया। इसमें दो लोगों की मौत हो गई।
 
नवंबर 2019 : काजीगुंड में प्रेशर कुकर में दबाकर रखी दो आईईडी बरामद हुईं, जो रोड पर लगाई गई थीं। सेना की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला करने की कोशिश थी। 
 
19 नवंबर 2019 : पुंछ हाईवे पर आईईडी बरामद की गई। 
 
31 जनवरी  2019 : नगरोटा के पास हाइवे पर शक्तिशाली आईईडी बरामद की गई। 

 
कश्मीर से जम्मू तक पहुंच गए
 
पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल बना। भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक भी की। इसके बाद लग रहा था कि पाकिस्तान सुधर जाएगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। वर्ष 2018 में कश्मीर में आईईडी धमाके से 8 हमले हुए थे। वहीं यह हमले 2019 में दोगुना हो गए। पुलवामा हमले के बाद भी 15 से 16 बार हमले हुए। आतंकियों ने कश्मीर के अलावा जम्मू के बनिहाल, राजोरी, पुंछ, अखनूर और जम्मू के इलाके में भी आईऱ्ईडी लगाकर पुलवामा जैसे हमले दोहराने की कोशिश की।
 
 
पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले पांचों आतंकी पिछले एक साल में अलग-अलग जगहों पर हुई मुठभेड़ में मार दिए गए। लेकिन इस हमले की साजिश रचने वाला जैश-ए-मोहम्मद का सरगना अजहर मसूद अभी भी पाकिस्तान में जिंदा है। हमले में शामिल पांचों आतंकियों के मारे जाने के चलते इस केस का अब तक चालान भी पेश नहीं हुआ है। क्योंकि इस केस का कोई भी आरोपी अभी जिंदा नहीं है। एनआईए इस कोशिश में है कि इस हमले में कुछ और लोगों के शामिल होने का पता लगे। आतंकियों के मारे जाने की वजह से अब तक चालान पेश नहीं हो पा रहा। 
 
 
14 फरवरी को फिदायीन आतंकी आदिल अहमद डार ने पुलवामा में सीआरपीएफ के वाहन के साथ अपनी कार को टक्कर मार दी। कार में भारी मात्रा में विस्फोटक था। इसमें 44 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी। हमले की साजिश रचने वाले दो मुख्य आतंकी मुदस्सर खान और सज्जाद भट्ट भी 2019 में ही मारे गए। जबकि दो अन्य आतंकी सज्जाद भट्ट और आईईडी प्लांट करने वाला कुख्यात जैश कमांडर कारी भी मारा गया। यह पांचों इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता थे। 

 
एनआईए ने आदिल के पिता का डीएनए सैंपल लिया था। जिसमें यह साबित हो गया कि हमले को अंजाम आदिल ने ही दिया था। दरअसल, एनआईए ने घटनास्थल से आदिल के शरीर से खून के धब्बों, मांस के सैंपल लिए थे। सैंपल का उसके पिता से मिलान किया गया। एनआईए ने पांचों आतंकियों को मार तो दिया, लेकिन पाकिस्तान से हमले के लिंक अभी तक स्थापित नहीं हो पाए। 

 
एनआईए के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि इस हमले में शामिल पांचों आतंकी मारे जा चुके हैं। यह पूछने पर कि क्या केस को बंद कर दिया जाएगा। इस पर अधिकारी ने कहा कि केस बंद नहीं किया जाएगा। पुलवामा हमले से कुछ और लोगों के जुड़े होने की जानकारी है। इसके पुख्ता सबूत मिलने पर चालान को मजबूती के साथ पेश किया जाएगा।

 
पुलवामा हमले में एनआईए जैश सरगना मसूद अजहर को मुख्य आरोपी बना सकती है। सूत्रों के अनुसार सारे आतंकियों के मारे जाने से हमले की पूरी प्लानिंग सामने नहीं आ पाई। इस हमले की रूपरेखा तो पता चल चुकी है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर किस शख्स का क्या रोल था, यह अब तक समझ में नहीं आ रहा है।
 
 
सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच कर रही एनआईए ने इस हमले में कई लोगों की पहचान की है। सात से आठ लोगों की पहचान हो चुकी है। इस हमले में पाकिस्तान और पाकिस्तान में पलने वाले आतंकियों की भूमिका को लेकर एनआईए काम कर रही है। संभव है कि जैश सरगना को इस हमले का मुख्य आरोपी बनाया जाए, क्योंकि पठानकोट हमले में भी ऐसा ही किया गया था। 

 
इसी तरह से 2016 में पठानकोट में हमला करने वाले चारों आतंकी मारे गए थे। कई महीनों के बाद मामले की जांच में चार्जशीट पेश की गई। जिसमें जैश के सरगना मसूद अजहर सहित तीन को मुख्य आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी को 90 दिन के भीतर चार्जशीट पेश करनी होती है। लेकिन मामले में यदि आरोपियों की मौत हो जाए तो अतिरिक्त वक्त मिलता है।
 
 

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