अपने विवादास्पद बयानों से यू-टर्न लेते हुए, बाबा रामदेव ने कहा कि वह जल्द ही अपना COVID-19 जैब लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपातकालीन मामलों और सर्जरी के मामले में एलोपैथी बेहतर है लेकिन आयुर्वेद असाध्य रोगों का इलाज करता है। पीएम मोदी द्वारा एक मुफ्त, केंद्रीकृत टीकाकरण अभियान की घोषणा की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने सभी को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया।

देश में सभी के मुफ्त टीकाकरण अभियान की शुरुआत 21 जून से शुरू हो रही है। इसी दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का भी आयोजन होता है। बाबा रामदेव की ओर से टीका लगवाने और अन्य लोगों से अपील करने की बात उनके पुराने रुख के एकदम विपरीत है। इससे पहले उन्होंने कोरोना टीकों के असरदार होने को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि हजारों डॉक्टरों को वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना हो गया और तमाम मर भी गए। हालांकि बाद में पतंजलि की ओर से सफाई में कहा गया था कि बाबा रामदेव ने एक वॉट्सऐप मेसेज पढ़ते हुए यह बात कही थी। यह उनका बयान नहीं था।

तब से ही वह एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और डॉक्टरों को लेकर टिप्पणी के चलते विवादों में थे। यही नहीं आईएमए की ओर से उन्हें नोटिस भी भेजा गया था। इसके अलावा हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन के दखल पर उन्होंने माफी भी मांग ली थी, लेकिन फिर से कई बयान देकर एलोपैथी पर सवाल उठाए थे। लेकिन अब रामदेव की ओर से वैक्सीन लेने और डॉक्टरों को देवदूत बताने के बाद से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ उनका विवाद समाप्त हो सकता है। हाल ही में रामदेव ने कहा था कि उनका विवाद डॉक्टरों से नहीं है, वे तो इस धरती के लिए वरदान हैं। उनका कहना था कि उनकी जंग दवा माफियाओं के खिलाफ है।


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