
आजकल बॉलीवुड में उन मुद्दों पर फिल्में बन रही जिन पर लोग बात करने से भी कतराते हैं। लोग सेक्स से जुड़े मुद्दों पर बात करने से बचते हैं। मगर अब फिल्मों के जरिए इस टाबू को हटाया जा रहा है। पहले विक्की डोनर फिर शुभ मंगल सावधान और अब इस विषय पर सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म खानदानी शफाखाना बनी है। खानदानी शफाखाना में सेक्स क्लीनिक के बारे में खुलकर बात की है। कॉमेडी के साथ इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान खींचा गया है। इस फिल्म से एक्टिंग की दुनिया में रैपर बादशाह ने कदम रखा है। फिल्म में वरुण शर्मा और अनु कपूर भी अहम भूमिका निभाते नजर आए हैं। फिल्म को शिल्पी दासगुप्ता ने डायरेक्ट किया है।
कहानी
कहानी की शुरूआत होती है कुलभूषण खरबंदा यानि हकीम ताराचंद्र से जो अपनी यूनानी दवाईयों की मदद से लोगों की सेक्स समस्याओं या यूं कहिए गुप्त रोग को ठीक करते थे। मामा जी के नाम से विख्यात हकीम ताराचंद्र का हो जाता है निधन। वह अपना खानदानी शफाखाना अपनी बहन की बेटी बेबी बेदी (सोनांक्षी सिन्हा) के नाम करके जाते हैं। बेबी बेदी पिता के निधन के अपने पूरे घर का खर्चा उठाती हैं। उनका एक निकम्मा भाई वरुण शर्मा होता है। कर्जे को उतारने और पैसे के लिए मां की इजाजत के खिलाफ बेबी 6 महीने के लिए खानदानी शफाखाना चलाने लगती है। जहां वह मामा जी के मरीजों को दवाईयां देती हैं। इसी बीच होती है रैपर बादशाह की एंट्री जो खुद यौन रोग से ग्रसित होते हैं और हकीम ताराचंद्र के मरीज होते हैं। बस फिर उसके बाद से बेबी इस विषय पर लोगों से खुलकर बात करने को कहती है मगर लोग उसके केरेक्टर पर उंगली उठाते हैं। बेबी को इस बीच जेल भी जाना पड़ता है। अब फिल्म की पूरी कहानी तो हम बता नहीं सकते हैं उसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
एक्टिंग
कहानी पंजाब के होशियारपुर की है। सोनाक्षी ने अपने लुक से तो खुद को पंजाबी दिखाया है मगर पंजाबी बोली पर पकड़ नहीं पाईं। सोनाक्षी की बेहतर एक्टिंग फिल्म में जान डाल सकती थी। उनका इस विषय पर बात करने को लेकर बोल्ड अंदाज निराला था मगर वह अपनी एक्टिंग से कंवेंस नहीं कर पा रही थीं। फिल्म में जितनी भी पंचेज थे वो वरुण शर्मा की वजह से थे। हर बार की तरह इस बार भी वह हंसाने में सफल हो पाए। इस फिल्म से एक्टिंग में कदम रखने वाले बादशाह अपने किरदार से ज्यादा इंप्रेस नहीं कर पाए। वह फिल्म में ज्यादा नजर नहीं आए मगर जितनी बार भी आए कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। अनु कपूर पूरे पंजाब के वकील के लुक में थे। उनकी भाषा, बात करने का अंदाज काफी अच्छा था। फिल्म में टीवी एक्टर प्रियांश जोरा भी नजर आए हैं। प्रियांश का शांत रहना और सोनाक्षी को अपनी बातों से समझाना सब काफी स्मूद था।
डायरेक्शन
छोटे शहर को काफी अच्छे तरीके से दिखाया गया है। आपको छोटी गलियों लोगों से पूरा पंजाब का एक शहर महसूस होता है। कोर्टरुम का सीक्वेंस काफी अच्छे से दिखाया गया है।
म्यूजिक
फिल्म में इमोशन्स के हिसाब से बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है। सोनाक्षी को मोटिवेट करने के लिए एक गाना भी शामिल किया गया है। फिल्म के आखिरी में बादशाह, सोनाक्षी और वरुण कोका गाने पर थिरकते नजर आएंगे।
क्यों ना देंखे
फिल्म का टॉपिक अच्छा होने के बावजूद यह आपको कंवेंस करने में नाकमयाब होती है। ढाई घंटे की यह फिल्म काफी लंबी लगती है। फिल्म में कॉमेडी के नाम पर सिर्फ वरुण शर्मा ही आपको हंसा पाते हैं। सेकेंड हॉफ काफी लंबा लगने लगता है।
खानदानी शफाखाना के फिल्म का रिव्यू अगर इंग्लिश में जानना चाहते है तो यहां क्लिक करें- Khandaani Shafakhana Movie Review