अब आपको अपने वहानों के दस्तावेजों जैसे की ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल), रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट सहित बाकी को मोबाइल नंबर से लिंक कराना अनिवार्य हो जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये नया नियम एक अप्रैल 2020 से लागू होने के आसार है। इतना ही नहीं, इस बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इस पर लोगों से सुझाव मांगा है। 29 दिसंबर तक लोग अपना सुझाव सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज सकते हैं। दरअसल, बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दी गई। पब्लिक और प्राइवेट कंपनियों के लिए पर्सनल डेटा को रेगुलेट करने की व्यवस्था करना ही इस बिल का उद्देश्य है।
गाड़ी चोरी होने की जानकारी जुटाने में मिलेगी मदद
ऐसा कहा जा रहा है कि वाहन के दस्तावेजों को उसके मालिक के मोबाइल नंबर के लिंक करना के बाद गाड़ी चोरी होने की जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिलेगी। वाहन दस्तावेजों के साथ मोबाइल नंबर लिंक होने से गाड़ी की चोरी और खरीद फरोख्त पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी।
मोबाइल नंबर के लिंक होने से भ्रष्टाचार में भी आएगी कमी
इसके अलावा वाहन डेटा बेस में मोबाइल नंबर दर्ज होने से जीपीएस के अलावा मोबाइल नंबर से भी किसी इंसान की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। इसके जरिए पुलिस सड़क दुर्घटना, अपराध को अंजाम देने के बाद पुलिस आरोपी व्यक्ति का तुरंत पता भी लगा सकती है। माना जा रहा है कि इससे भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी।
केंद्र सरकार और बाकी सरकारी संस्थाओं के पास पूरा डाटा
ऐसा करने से केंद्र सरकार और बाकी सरकारी संस्थाओं के पास सभी वाहनों और ड्राइविंग लाइसेंस का पूरा डाटा मोबाइल नंबर के साथ मिलेगा। कई बार वाहन मालिक से संपर्क करना पड़ता है ऐसे में आरटीओ, पुलिस औक बाकी कोई एजेंसी, बड़ी आसानी से वाहन चालक या वाहन मालिक से संपर्क कर सकती है। साथ ही बड़े महानगरों में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट को लागू किया जा सकेगा।
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