सात नाबालिगों समेत 174 भारतीय नागरिकों के एक समूह ने H-1B वीजा पर हाल में आए एक शासकीय आदेश के खिलाफ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इस आदेश के तहत उनके अमेरिका में प्रवेश पर रोक लग सकती है अथवा उन्हें वीजा जारी नहीं किया जाएगा।

 

डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट अदालत के न्यायाधीश केतनजी ब्राउन जैक्सन ने बुधवार को विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और होमलैंड सुरक्षा विभाग के कार्यकारी मंत्री चाड एफ वोल्फ के साथ श्रम मंत्री युजिन स्कालिया को समन जारी किए। यह मुकदमा मंगलवार को अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट अदालत में दायर किया गया।

 

H-1B वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है जिन्हें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष दसियों हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं।

 

वकील वास्डेन बैनियास ने 174 भारतीय नागरिकों की ओर से दायर मुकदमे में कहा कि एच-1बी/एच-4 वीजा पर प्रतिबंध का शासकीय आदेश अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है, परिवारों को अलग करता है और कांग्रेस को खारिज करता है। 

 

इस मुकदमे में एच-1बी या एच-4 वीजा जारी करने पर पाबंदी लगाने या नए एच-1बी वीजा धारकों को देश में प्रवेश करने से रोकने वाले शासकीय आदेश को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है। साथ ही अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह विदेश विभाग को एच-1बी और एच-4 वीजा के लिए लंबित अनुरोधों पर फैसले देने के लिए निर्देश जारी करे।

 


गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 जून को शासकीय आदेश जारी कर इस साल के अंत तक एच-1बी कार्य वीजा जारी करने पर अस्थायी रोक लगा दी।

 

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