
मणिपुर में हिंसा जारी है, सभी सही सोच वाले भारतीयों को खुद से पूछना चाहिए कि उस बहुप्रचारित सुशासन का क्या हुआ जिसका हमसे वादा किया गया था। अपने राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने के एक साल बाद ही मणिपुर के मतदाता घोर विश्वासघात महसूस कर रहे हैं। यह राष्ट्रपति शासन का समय है, राज्य सरकार उस काम के लिए तैयार नहीं है जिसके लिए उन्हें चुना गया है।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर द्वारा आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान 3 मई को मणिपुर के चुराचंदपुर जिले के तोरबुंग क्षेत्र में झड़पें हुईं। यूनियन मैतेई लोगों के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग कर रहा था। मणिपुर उच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य सरकार से मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर केंद्र को चार सप्ताह के भीतर सिफारिश भेजने के लिए कहा था, जिसके बाद आदिवासियों ने नागा और कुकी सहित मार्च का आयोजन किया था।