पिछले कुछ सालों में गायक और गीत लेखक सोनू निगम ने यह जाना है कि यह ब्रह्मांड हमेशा हमें अनासक्त (डिटैच्ड) होना सिखाता है। यही वजह है कि 46 वर्षीय सोनू अब अपने परिवार के प्रति भी अनासक्त महसूस करने लगे हैं।
वह बताते हैं, ‘अगर मैं अपने परिवार के प्रति अनासक्ति का भाव रख सकता हूं, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है कि यह भाव मैं संगीत के प्रति भी रख सकता हूं।’
शायद यह इस अनासक्ति के भाव का ही असर है कि सोनू को अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि उन्हें लगातार ‘रीक्रिएट’ किए जा रहे गानों का कोई क्रेडिट नहीं दिया जा रहा है। वह कहते हैं, ‘अगर आपको लगता है कि किसी गाने के मशहूर होने में उसके गायक की कोई भूमिका नहीं है, तो ठीक है। अगर आपको लगता है कि सिर्फ गीतकार और संगीतकार को क्रेडिट देने से ही काम चल जाएगा, तो भी ठीक है। मैं अपने गीतों से जुड़ा नहीं हूं।’
आगे वह कहते हैं, ‘हर समाज को वैसी ही सरकार मिलती है, जिसके वह लायक होता है। ठीक उसी तरह, हर समाज को वैसा ही संगीत मिलता है, जिसके वह लायक होता है। हमारा समाज इस किस्म के रीमिक्स गानों के लायक ही है, तभी ये इतने अधिक मात्रा में बन रहे हैं।’ सोनू कहते हैं, ‘मेरे गानों के स्तरीय रीमेक बनाने के सभी प्रयास विफल रहे। यह ब्रह्मांड का अभिशाप है। जो बने, वे ऐसे नहीं हैं जिन्हें लंबे वक्त तक याद रखा जाए। ब्रह्मांड ऐसी कोशिश करने वालों से कह रहा है- किसी के भी गाने दोबारा बना लो, इसके मत बनाओ।’ सोनू ‘लेट्स गो फॉर ग्लोरी’ और ‘अंडरवॉटर’ जैसे अंग्रेजी गाने गा चुके हैं।
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