
अनुच्छेद 370, जो अक्टूबर 1949 से प्रभावी हुआ था, जम्मू-कश्मीर को भारत के भीतर आंतरिक प्रशासन पर स्वायत्तता प्रदान करता था। इसके तहत राज्य को वित्त, रक्षा, विदेश मामले और संचार को छोड़कर सभी मामलों में कानून बनाने का अधिकार था।
कांग्रेस नेता और ऑल-पार्टी डेलीगेशन के सदस्य सलमान खुर्शीद ने कहा कि लंबे समय से कश्मीर एक बड़ी समस्या रहा है। इंडोनेशियाई थिंक टैंक और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "कश्मीर लंबे समय से एक बड़ी समस्या रहा। यह काफी हद तक संविधान के अनुच्छेद 370 में दिखाई देता था, जिससे यह धारणा बनती थी कि यह भारत के बाकी हिस्सों से अलग है। लेकिन अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया और इसे खत्म कर दिया गया। इसके बाद 65 प्रतिशत मतदान के साथ चुनाव हुए।"
उन्होंने आगे कहा, "आज कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार है, और जो लोग अब तक हुए बदलावों को पलटना चाहते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि इससे कश्मीर में जो समृद्धि आई है, वह भी खतरे में पड़ जाएगी।"
अनुच्छेद 370 को 1950 में लागू किया गया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को भारत में विशेष दर्जा और महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्रदान की थी। शुरू से ही यह प्रावधान विवादास्पद रहा और इसे देश की एकता के लिए विभाजनकारी माना गया।
2019 में भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। साथ ही राज्य को पुनर्गठित करके दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में बाँट दिया गया, जिससे यह क्षेत्र पूरी तरह भारतीय संविधान के अधीन आ गया।
खुर्शीद ने दोहराया कि पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का अभिन्न हिस्सा है और भारतीय संसद के सर्वसम्मत प्रस्ताव के अनुसार उसे भारत को लौटाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लिए सीटें प्रतीकात्मक रूप से खाली रखी गई हैं, जो इस मुद्दे पर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई बातचीत संभव नहीं है जब तक वह आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में सिंधु जल संधि पर भी चर्चा स्थगित रहेगी।
खुर्शीद ने इस बात पर निराशा जताई कि पाकिस्तान ने वर्षों से शांति वार्ताओं के दौरान बार-बार हमलों के ज़रिए विश्वासघात किया है। इसके जवाब में भारत ने आतंकवाद के ठिकानों को खत्म करने के लिए "काइनेटिक कदम" उठाए हैं। किसी भी प्रतिरोधात्मक कार्रवाई का भारत ने माकूल जवाब दिया है।
इस वैश्विक संपर्क यात्रा के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि इंडोनेशिया ने भारत को पाकिस्तान के भ्रामक प्रचारों के खिलाफ अप्रत्याशित और मजबूत समर्थन दिया है। इंडोनेशियाई नेतृत्व, राजनीतिक दलों और ASEAN प्रतिनिधियों ने भारत के प्रति सहानुभूति जताई और समर्थन को दोहराया।
ऑल-पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व जेडीयू सांसद संजय कुमार झा कर रहे हैं और इसमें बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी, सीपीआई(एम) सहित विभिन्न दलों के सदस्य शामिल हैं। पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का वैश्विक मंच पर विरोध करने के अभियान के तहत यह प्रतिनिधिमंडल पहले ही जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का दौरा कर चुका है, और आगे भी कई देशों का दौरा करेगा।