राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि कुछ लोगों द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है कि संघ अल्पसंख्यकों के लिए खतरा है, लेकिन उन्होंने कहा कि यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का। भागवत ने नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली में कहा, संघ भाईचारे, सौहार्द और शांति के पक्ष में खड़ा होने का संकल्प लेता है।

असमानता पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, जब तक मंदिर, जल स्रोत और श्मशान भूमि सभी हिंदुओं के लिए खुले नहीं हैं, तब तक समानता की बात केवल एक सपना होगी। भागवत ने कहा कि उदयपुर और अमरावती की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए, भागवत ने कहा एक विशेष समुदाय को समग्र रूप से इसके मूल कारण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, अब जब संघ को लोगों का स्नेह और विश्वास मिल रहा है और वह मजबूत भी हो रहा है, तो हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को गंभीरता से लिया जा रहा है। कई लोग अवधारणा से सहमत हैं, लेकिन हिंदू शब्द के विरोध में हैं और वे दूसरे शब्दों का उपयोग करना पसंद करते हैं। हमें इससे कोई समस्या नहीं है। अवधारणा की स्पष्टता के लिए - हम अपने लिए हिंदू शब्द पर जोर देते रहेंगे। उन्होंने कहा।

उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी जोर दिया और कहा कि महिलाओं के बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता। समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात पर्वतारोही संतोष यादव थी। वह दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला हैं।


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