केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर रिपोर्ट के अनुसार, इस साल दिवाली की तुलना में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पिछले साल की तुलना में अधिक था।

सीपीसीबी ने रिपोर्ट में कहा कि पीतमपुरा में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) और एसओ 2 में वृद्धि दर्ज की गई है, जो दिवाली पर पटाखे फोड़ने के प्रभाव को दर्शाता है।

2020 में, दिवाली के दिन, पीएम 10 और पीएम 2.5 में कमी पूर्व दिवाली के दिन की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत और 18 प्रतिशत देखी गई थी। इस साल मल के जलने के योगदान में लगभग 6 प्रतिशत की कमी के कारण यह कमी आई है।

बोर्ड ने कहा, 'इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पिछले साल की तुलना में 2020 में दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा में वृद्धि में पराली जलाने का अधिक योगदान रहा तथा यही बात कार्बन मोनोऑक्साइड एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि में सामने आई.'

हालांकि, दिल्ली में दीपावली के एक दिन बाद भी प्रदूषण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. रविवार को वायु गुणवत्ता का स्तर 4 वर्षों के मुकाबले सबसे खराब दर्ज किया गया. पराली और पटाखे जलने से शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर रविवार को 'आपात' श्रेणी को पार कर गया. हालांकि, ताजा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में हवा की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहने और हल्की बारिश के कारण कुछ राहत मिली.

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