
एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं। रविवार को उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें उस समय तेज़ हुईं जब उनके बहनोई और जमुई से सांसद अरुण भारती ने सुझाव दिया कि चिराग को आरक्षित नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।
चिराग पासवान पहले ही राज्य राजनीति में उतरने की इच्छा जता चुके हैं और हाल ही में उन्होंने हाजीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना का संकेत भी दिया था।
जमुई सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि चिराग पासवान का नारा "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" तभी साकार हो सकता है जब वह राज्य की राजनीति में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता की मांग है कि चिराग सामान्य सीट से चुनाव लड़ें, ताकि उनका नेतृत्व हर वर्ग का प्रतिनिधित्व कर सके।
कहां से लड़ सकते हैं चुनाव?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिराग पासवान हाजीपुर, पटना या दानापुर में से किसी एक सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि अंतिम फैसला वह खुद करेंगे।
अब तक चिराग ने केवल लोकसभा चुनावों में भाग लिया है, वो भी आरक्षित सीटों से—जैसे जमुई और हाजीपुर। उन्होंने कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है।
एलजेपी (रामविलास) बुला सकती है बैठक:
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जल्दी ही एक बैठक बुला सकती है जिसमें चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को औपचारिक रूप दिया जाएगा। पीटीआई के अनुसार, 30 मई को बिहार के बिक्रमगंज में पार्टी नेताओं की बैठक हुई थी, जहां बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा भी हुई।
अरुण भारती ने कहा कि बिहार चिराग की राजनीति का केंद्र है और 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का एजेंडा विधानसभा से ही सही तरीके से उठाया जा सकता है।
2020 विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन:
2020 में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी को नुकसान हुआ। हालांकि एलजेपी को सिर्फ एक सीट मिली और पार्टी में फूट भी पड़ी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में एलजेपी (रामविलास) ने जबरदस्त वापसी की और पांचों सीटें जीत लीं।
अब जब बिहार में एनडीए का कुनबा बड़ा हो गया है, सीट बंटवारे को लेकर मुश्किल बातचीत की संभावना है। चिराग का विधानसभा चुनाव में उतरना न सिर्फ पार्टी की ताकत दिखाने का संकेत होगा, बल्कि गठबंधन की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला सकता है।