सुलतानपुर। केंद्र व प्रदेश सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय और साफ-सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। लेकिन ग्राम प्रधान और सरकारी अफसरों की मिली भगत से इस पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के दावे भी किए जा रहे हैं किन्तु जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं। आज भी कई गांव ऐसे है जो स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहें हैं। तमाम गांव कागज पर खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुके हैं किन्तु धरातल पर सचाई कुछ और ही है।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विकास खंड जयसिंहपुर में बनाये जा रहे शौचालय जिसे (इज्जत घर) भी कहा जाता है, बेइज्जत घर बन गए है। ग्रामीण क्षेत्रों में बन रहे शौचलय सिर्फ कहने को शौचालय है, न ही इनमें पानी की कोई व्यवस्था है और न ही इसे कोई उपयोग में ले रहा है। लोग आज भी खुले शौच जाते है। स्वच्छ भारत मिशन से सिर्फ ग्राम प्रधान और सचिव मालामाल हो रहे हैं।
जयसिंहपुर ब्लाक के क्षेत्र से मिली खबरों के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगभग सभी ग्राम पंचायतों में शौचालय (इज्जत घर) के निर्माण का काम तो चल रहा है। लाभार्थियों की माने तो ग्राम प्रधान और सचिव मनमाने तरीके से शौचालय का निर्माण कार्य ठेके से करा रहे हैं। जबकि शौचालय का धन लाभार्थी के बैंक खाते में जाना चाहिए था फिर उसे लाभार्थी खुद ग्राम प्रधान और सचिव के देख रेख में शौचालय बनवाते। परन्तु यहां इसका उल्टा हो रहा है। जो जांच का बिषय है।
जबकि राजधर पांडे सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) से फोन पर जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि लगभग 70% शौचालय बन गया है, और सबके सब उपयोग में है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है, जो जांच का विषय है।
बानगी के तौर पर विकास खंड की एक छोटी ग्राम पंचायत जयसिपुर खुर्द को ही ले लिया जाए, जहां पर शौचालय निर्माण का हाल यह है कि एक ही परिवार में अलग अलग नाम से तीन शौचलाय बन चुका चौथा बन रहा है। जबकि कई ऐसे परिवार हैं जिनके शौचालय निर्माण की चर्चा तक प्रधान और सचिव कर ही नहीं रहे हैं। जानकारी तो यहां तक दी जा रही है कि सचिव कभी क्षेत्र में दिखाई ही नहीं देते। इज्जत घरों की बेइज्जत दशा का आकलन उनकों देख कर लगया जा सकता है। शौचालय की सूची में शामिल तमाम लोगों का नाम तो है परंतु न तो उनके बैंक खाते में धन भेजा जा रहा है और न ही उनको बनवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
ऐसे विमला, रीना, सहित तमाम लाभार्थियों ने शौचालय मिलने की आश मे नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बिना सुबिधा शुल्क लिए प्रधान शौचालय देने को तैयार नहीं है। दूसरी तरफ प्रधान और सचिव द्वारा बनाए गए ग्राम पंचायत जयसिंहपुर खुर्द के तमाम शौचालय केवल शो पीस साबित हो रहे हैं। और कुछ तो बनते ही टूट गये। और वहीं दर्जनों शौचालय लाभार्थी के घर से कोसों दूर बनाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधान के लाभ का काम है शौचालय निर्माण, इसीलिये प्रधान और सचिव खुद बनवा रहे हैं। लाभार्थी के खाते में धन नहीं भेज रहे हैं।